Jawaharlal Nehru Death Anniversary महामना के बुलावे पर युवाओं को प्रेरित करने बीएचयू आते थे पंडित नेहरू
Jawaharlal Nehru Death Anniversary (जन्मतिथि 14 नवंबर,
1889, पुण्यतिथि - 27 मई, 1964) भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल
नेहरू के जीवन में बच्चों और युवाओं के लिए अलग जगह थी। आधुनिक
विज्ञान-तकनीक और उनकी व्यवहारिक दृष्टि युवाओं को काफी पसंद आती थी।
यही
आलम काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भी छात्रों का था, जिनमें से बाद में कई
बड़े-बड़े साहित्यकार, तो कई देश के शीर्ष वैज्ञानिक बने। देश की राजनीति
को दिशा देने के साथ ही उन्होंने हिंदोस्तान के युवा शक्ति का भी
प्रतिनिधित्व किया था।
छात्र ने नेहरू को अलग अंदाज में दिया अपना परिचय
वह कई दीक्षा समारोह और छात्र आंदोलन में भी आते थे। ऐसा ही एक वाकये पर चर्चा करते हुए बीएचयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष (1974) मोहन प्रकाश ने बताया कि नेहरू एक बार जब बीएचयू आये और आकर छात्रसंघ के सदस्यों की चलने वाली कार्यवाही देखने गए। उस दौर में भारतीय संसदीय व्यवस्था जैसी ही कार्यप्रणाली छात्रसंघ की थी।
छात्र संसद के प्रधानमंत्री नेहरू जी को अपना परिचय देते हुए कहते हैं कि मैं यहां का प्रधानमंत्री हूं और शत फीसद साक्षर लोगों का नेतृत्व करता हूं, और आप भारत के प्रधानमंत्री हैं जो कि 70 फीसद निरक्षर जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। महामना के मानस शिष्य का ऐसा परिचय सुन नेहरू ने जी भर तालियां बजाईं और काफी प्रभावित भी हुए।
आंदोलन के बीच भी बीएचयू के छात्रों से मिलते रहे
ब एचयू में जब आंदोलन का दौर था, नेहरू जी परिसर के रूइया छात्रावास के एक कमरे में गए तो एक छात्र कहने लगा कि मुझ पर उदंडता का आरोप गलत है। पांच-छह कुलपतियों के कार्यकाल का हवाला देते हुए उसने बताया कि आज तक कभी कोई आंच नहीं आई और इससे पहले के कुलपति ने तो मुझे शोध कार्य हेतु विदेश भी भेजा था। बीच में रोकते हुए नेहरू छात्र से पूछते हैं, फिलहाल आप कितने वर्षों से यहां पर पढ़ाई कर रहे हैं।
महामना की जन्म शताब्दी पर नेहरू का ओजस्वी उद्बोधन
ब एचयू के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी डा. विश्वनाथ पांडेय की किताब व्यक्तित्व, कृतित्व एवं विचार के मुताबिक नेहरू के प्रधानमंत्री रहते 1961 में मालवीय की सौवीं जन्म शताब्दी मनाई गई, जिसको संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि मालवीय द्वारा स्थापित यह विश्वविद्यालय प्राचीन ज्ञान, आधुनिक विज्ञान और उसकी औलाद यानि कि तकनीक को एक साथ लेकर चलने की मंशा लेकर चल रहा है।
भारत की प्राचीन संस्कृति और आधुनिक विज्ञान दोनों पहलू को लेकर चलने का काम मालवीय जी ने किया था और आज विकास के इन दोनों पहियों पर हिन्दोस्तान के विकास की गाड़ी तेजी से आगे चल रही है। नेहरू ने अपने इस भाषण में यह भी कहा था कि कांग्रेस के पुराने नेताओं में से मालवीय जी सबसे पूज्य थे, दुनिया के किसी भी गज से आप नापें, उन्हेंं बहुत बड़ा पाएंगे।।
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