इन दस बड़ी गलतियों की वजहों से अमेरिका का हाल हुआ बेहाल, दुनिया में बना कोरोना का केंद्र
कोरोना वायरस की चपेट में इस वक्त सबसे अधिक अमेरिका है जहां अब तक इसके 763836 मामले सामने आ चुके हैं। इस जानलेवा वायरस की चपेट में आने के बाद 40555 मरीज यहां पर अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं। यदि पूरी दुनिया में दिसंबर से लेकर अब तक हुए कोरोना वायरस के फैलाव की बात करें तो चीन का वुहान शहर, जहां दिसंबर में इसकी शुरुआत हुई थी वहां पर अब ये काबू में आ चुका है।
लेकिन इससे 12 हजार किमी दूर स्थित अमेरिका के न्ययॉर्क में इसका सबसे अधिक असर देखा जा रहा है। इन सभी के पीछे छिपे कारणों को हमारे लिए जानना बेहद जरूरी है। ऐसे कई कारण बने जिसकी वजह से अमेरिका में हालात इतने बेकार होते चले गए। आइये अब इनमें से कुछ कारणों पर गौर कर लेते हैं।
- चीन के वुहान में पहला मामला सामने आने के बाद 19 जनवरी को अमेरिका के वाशिंगटन में इसका पहला मामला सामने आया था। इसके बाद लगातार इसके मामले अलग-अलग राज्यों में सामने आने लगे थे। बावजदू इसके अमेरिकी प्रशासन का ध्यान इस पर काफी देर से गया।
- 22 मार्च को राष्ट्रपति ट्रंप ने Major Disaster घोषित किया था और गवर्नर ने घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी थी। इस प्रतिबंध को बाद में 4 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया।
- जिस वक्त तक चीन ने अपने यहां पर बाहर से आने और जाने वाली सभी उड़ाने बंद कर दी थी तब तक 4 लाख से अधिक लोग चीन से अमेरिका पहुंच चुके थे। अमेरिका ने अपने यहां पर विदेशों से आने वाले विमानों की आवाजाही को रोकने में काफी देर कर दी थी। इतना ही नहीं 16 मार्च तक भी अमेरिका ने इसको सभी देशों के लिए एक समान तौर पर लागू नहीं किया था। चीन से आने वाले विमानों की आवाजाही को रोकने के बाद भी लोग दूसरे देशों से होते हुए अमेरिका पहुंच रहे थे।
- 14 मार्च को न्यूयॉर्क में कोरोना वायरस की वजह से पहली मौत हुई थी। हालांकि यहां पर 7 मार्च को ही गवर्नर ने स्टेट इमरजेंसी का एलान कर दिया था और लोगों को घरों में रहने की सख्त हिदायत दी गई थी। इसके बाद भी लोगों ने इसको गंभीरता से नहीं लिया जिसकी वजह से ये यहां पर बेकाबू हो गया। 23 मार्च को न्यूयॉर्क के तट पर सैकड़ों लोगों की जमा भीड़ की फोटो वायरल होने के बाद गवर्नर ने लॉकडाउन को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए थे।
- चीन में इस वायरस के लगातार फैलने की बीच अमेरिका ने चीन को काफी मात्रा में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट्स दिए थे। उस वक्त तक ये वायरस अमेरिका समेत कई देशों में फैल चुका था। इसके बाद भी अमेरिका में लगातार बढ़ रहे मामलों पर ध्यान नहीं दिया गया। इसकी वजह से अमेरिका में ही इन इक्यूपमेंट्स की कमी हो गई। कुछ दिन पहले ही वाशिंगटन में हेल्थ वर्कर्स ने इसके खिलाफ अपने गुस्से का भी इजहार किया था।
- राज्यों के गवर्नरों की राय और हेल्थ डिपार्टमेंट के टॉप विशेषज्ञों की राय को राष्ट्रपति डोनाल्ड डोनाल्ड ट्रंप ने नजरअंदाज किया। अमेरिका के टॉप विशेषज्ञ डॉक्टर फॉसी से उनका टकराव इसका जीता जागता सुबूत है।
- राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से लगातार ये कहा जाता रहा कि प्रशासन इस पर काबू पा लेगा और इसकी वजह से अमेरिकियों को कोई खतरा नहीं है।
- अमेरिका में इस वायरस से लड़ने और इसकी रोकथाम पर ध्यान देने की बजाए राष्ट्रपति ट्रंप डब्ल्यूएचओ से भिड़ गए और उसकी फंडिंग रोकने तक का फैसला ले लिया।
- राष्ट्रपति ट्रंप इस वायरस की उत्पत्ति के लिए चीन को घेरते दिखाई दिए। जबकि दूसरे देश उस वक्त केवल इसकी रोकथाम पर ही ध्यान दे रहे थे।
- केलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, मिशिगन, वाशिंगटन में हेल्थ वर्कर्स ने दो दिन पहले ही सड़कों पर उतरकर वेंटिलेटर, मास्क, गाउन की कमी के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
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