जर्मनी की कार कंपनी बॉश ने बनाई ऐसी डिवाइस, जिससे कोरोनावायरस का टेस्ट महज ढाई घंटे में होगा, अप्रैल से बिकना शुरू हो जाएगी
- इस डिवाइस के जरिए 24 घंटे में 10 टेस्ट किए जा सकते हैं
- यह डिवाइस डब्ल्यूएचओ के सभी टेस्ट मानकों को पूरा करती है
- अब तक लैब में किए गए 95% टेस्ट के नतीजे सटीक रहे हैं
दरअसल, अब तक जो टेस्ट जल्दबाजी में किए जा रहे हैं, उनके बारे में सबसे बड़ी समस्या उनके सही और भरोसेमंद होने की है। लेकिन बॉश द्वारा बनाई गई इस डिवाइस के बारे में कहा जा रहा है कि लैब में किए गए विभिन्न टेस्ट में 95% नतीजे सटीक रहे हैं। बॉश कंपनी ने कहा है कि "यह डिवाइस डब्ल्यूएचओ के सभी टेस्ट मानकों को पूरा करती है।'
बॉश कंपनी के प्रमुख फोल्कमर डेनर का कहना है कि "इस डिवाइस के जरिए कोरोना से संक्रमित लोगों की जल्द शिनाख्त हो सकेगी और उन्हें आइसोलेट किया जा सकेगा। इस जानलेवा वायरस के खिलाफ लड़ाई में समय बहुत ही अहम होता है। इस डिवाइस का सबसे बड़ा फायदा कम समय में टेस्ट नतीजे का पता चलना ही है।'
इस डिवाइस के जरिए खुद ही टेस्ट कर सकेंगे, ट्रेनिंग की जरूरत नहीं
बॉश कंपनी का कहना है कि इस डिवाइस के जरिए टेस्ट करना बहुत आसान है। इसके लिए किसी तरह की ट्रेनिंग की जरूरत भी नहीं है, न ही किसी लैब या नार्सिंग स्टॉफ की जरूरत होगी। टेस्ट के लिए सैंपल एक फाहे की मदद से गले या नाक से लिया जाता है और उसे एक कार्ट्रिज में रखा जाता। इस कार्ट्रिज में टेस्ट के लिए जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं जो जांच में मदद करते हैं। फिर इस कार्ट्रिज को जांच के लिए बॉश द्वारा बनाई गई डिवाइस में डाला जाता है।
डिवाइस की कीमत 8.25 लाख रुपए से ज्यादा होगी
कंपनी ने अभी डिवाइस की कीमत तो नहीं बताई हैं, लेकिन अनुमानित दाम बताया है। इसके मुताबिक काट्रिज की कीमत करीब 8 हजार रुपए और डिवाइस की कीमत 8.25 लाख रुपए से ज्यादा होगी। कंपनी का कहना है कि इस डिवाइस को बड़े पैमाने पर बनाने की क्षमता हेल्थ केयर यूनिट के पास है। इस डिवाइस को बॉश कंपनी की हेल्थ टीम ने नॉर्दर्न आइरिश मेडिकल इक्विपमेंट मेकर रैडॉक्स लेब्रोरेटरीज के साथ मिलकर बनाया है। यह डिवाइस पूरी तरह से ऑटोमेटेड टेस्ट करती है।
कोविड-19 के अलावा फ्लू जैसी सांस की दूसरी बीमारियों का भी टेस्ट संभव
इस डिवाइस की मदद से कोविड-19 के अलावा फ्लू जैसी सांस की दूसरी बीमारियों का भी टेस्ट किया जा सकता है। अब कंपनी ये भी कोशिश कर रही है कि अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों का भी जल्दी से टेस्ट हो सके, ताकि वे लंबे समय तक मरीजों की सेवा कर सकें।
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